SHIV CHALISA LYRICS IN HINDI
Credits Shiv Bhajan: Shri Shiv ChalisaSinger: Ashwani AmarnathMusic Director: Ravi BhanLyrics: TraditionalAlbum: Jai Girijapati DeendayalaMusic Label: T-Series Shiv Chalisa Lyrics in Hindi(शिव चालीसा) —–दोहा—– जय गणेश गिरिजा सुवन, मंगल मूल सुजान ।कहत अयोध्यादास तुम, देहु अभय वरदान ॥ —–चौपाई—– जय गिरिजा पति दीन दयाला । सदा करत सन्तन प्रतिपाला ॥भाल चन्द्रमा सोहत नीके । कानन कुण्डल नागफनी के॥अंग गौर शिर गंग बहाये । मुण्डमाल तन क्षार लगाए ॥वस्त्र खाल बाघम्बर सोहे । छवि को देखि नाग मन मोहे ॥मैना मातु की हवे दुलारी । बाम अंग सोहत छवि न्यारी ॥कर त्रिशूल सोहत छवि भारी । करत सदा शत्रुन क्षयकारी ॥नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे । सागर मध्य कमल हैं जैसे॥कार्तिक श्याम और गणराऊ । या छवि को कहि जात न काऊ ॥देवन जबहीं जाय पुकारा । तब ही दुख प्रभु आप निवारा ॥किया उपद्रव तारक भारी । देवन सब मिलि तुमहिं जुहारी ॥तुरत षडानन आप पठायउ । लवनिमेष महँ मारि गिरायउ ॥आप जलंधर असुर संहारा। सुयश तुम्हार विदित संसारा ॥त्रिपुरासुर सन युद्ध मचाई । सबहिं कृपा कर लीन बचाई ॥किया तपहिं भागीरथ भारी । पुरब प्रतिज्ञा तासु पुरारी ॥दानिन महँ तुम सम कोउ नाहीं । सेवक स्तुति करत सदाहीं ॥वेद माहि महिमा तुम गाई । अकथ अनादि भेद नहिं पाई ॥प्रकटी उदधि मंथन में ज्वाला । जरत सुरासुर भए विहाला ॥कीन्ही दया तहं करी सहाई । नीलकण्ठ तब नाम कहाई ॥पूजन रामचन्द्र जब कीन्हा । जीत के लंक विभीषण दीन्हा ॥सहस कमल में हो रहे धारी । कीन्ह परीक्षा तबहिं पुरारी ॥एक कमल प्रभु राखेउ जोई । कमल नयन पूजन चहं सोई ॥कठिन भक्ति देखी प्रभु शंकर । भए प्रसन्न दिए इच्छित वर ॥जय जय जय अनन्त अविनाशी । करत कृपा सब के घटवासी ॥दुष्ट सकल नित मोहि सतावै । भ्रमत रहौं मोहि चैन न आवै ॥त्राहि त्राहि मैं नाथ पुकारो । येहि अवसर मोहि आन उबारो ॥लै त्रिशूल शत्रुन को मारो । संकट ते मोहि आन उबारो ॥मात-पिता भ्राता सब होई । संकट में पूछत नहिं कोई ॥स्वामी एक है आस तुम्हारी । आय हरहु मम संकट भारी ॥धन निर्धन को देत सदा हीं । जो कोई जांचे सो फल पाहीं ॥अस्तुति केहि विधि करैं तुम्हारी । क्षमहु नाथ अब चूक हमारी ॥शंकर हो संकट के नाशन । मंगल कारण विघ्न विनाशन ॥योगी यति मुनि ध्यान लगावैं । शारद नारद शीश नवावैं ॥नमो नमो जय नमः शिवाय । सुर ब्रह्मादिक पार न पाय ॥जो यह पाठ करे मन लाई । ता पर होत है शम्भु सहाई ॥ॠनियां जो कोई हो अधिकारी । पाठ करे सो पावन हारी ॥पुत्र होन कर इच्छा जोई । निश्चय शिव प्रसाद तेहि होई ॥पण्डित त्रयोदशी को लावे । ध्यान पूर्वक होम करावे ॥त्रयोदशी व्रत करै हमेशा । ताके तन नहीं रहै कलेशा ॥धूप दीप नैवेद्य चढ़ावे । शंकर सम्मुख पाठ सुनावे ॥जन्म जन्म के पाप नसावे । अन्त धाम शिवपुर में पावे ॥कहैं अयोध्यादास आस तुम्हारी । जानि सकल दुःख हरहु हमारी ॥ —–दोहा—– नित्त नेम उठि प्रातः ही, पाठ करो चालीसा ।तुम मेरी मनोकामना, पूर्ण करो जगदीश ॥मगसिर छठि हेमन्त ॠतु, संवत चौसठ जान ।स्तुति चालीसा शिवहि, पूर्ण कीन कल्याण ॥ This is the end of Shiv Chalisa Lyrics in Hindi.